*युवा के लिए उसकी डिग्री होना न होना एक समान..!*


*बेरोजगारी और महंगाई से जूझते लोग..!*


*सब कुछ निजीकरण ही करना तो आम आदमी अपने लिए नेताओं को क्यों चुने..?*


*युवा दिशाहीन हो गए तो देश की कैसी तस्वीर बनेगी?*


महंगाई का यह दौर आम आदमी की कमर तोड़ रहा है। दूसरी ओर, बेरोजगारी का आलम भी बढ़ता ही जा रहा है। महामारी के दौर ने जहां साधारण लोगो से उनके रोजगार तक छीन लिए, वहीं डिग्रीधारी लोग भी हाथ बांधे बैठे रहने के अलावा कुछ कर नहीं पा रहे हैं। सरकारी नौकरियों के लिए निकलने वाली वेकेंसी भी नाममात्र आ रही है और अब उसकी गुंजाइशें भी लगभग खत्म होती जा रही हैं। युवा के लिए उसकी डिग्री होना, न होना एक समान होने लगा है।स्कूल में जितने शिक्षक होने हैं, उनमें से कितने पद रिक्त पड़े हैं? सरकार का मानना है कि उसके पास पैसे नहीं हैं। देश की अर्थव्यवस्था इतनी खराब हो चुकी है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार जो तेल कम दामों पर खरीद रही है, उनकी कीमत यहां के बाजार में तीन गुना ज्यादा हो जाती है। सवाल है कि सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम तक कम क्यों नहीं कर पा रही है, जबकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत कम है। रसोई गैस की कीमतों की हालत अब बेकाबू हो चुकी है। इसके असर से बढ़ी महंगाई ने रसोई घर में पकने वाले खाने तक को चिंता का मामला बना दिया है।सरकार को पैसा चाहिए तो वह कृषि क्षेत्र का निजीकरण करने पर उतारू है। अगर यह व्यवस्था बनी तो किसान को खेती के लिए पूरी तरह उद्योगपतियों पर निर्भर होना पड़ेगा। करीब तीन महीने से चल रहे किसान आंदोलन की मांग यह है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी के साथ-साथ तीनों कानूनों को रद्द किया जाए, ताकि किसान और देश के लोग बच सकें।लेकिन सरकार इस मसले पर कोई आश्वासन देने को तैयार नहीं है। सवाल है कि इस तरह बाजार और उसमें उपभोक्ताओं की क्या हालत होगी? बेरोजगारी और महंगाई से जूझते लोग कृषि क्षेत्र में पैदा होने वाले संकट के बाद किस दशा में चले जाएंगे? युवा के पास रोजगार नहीं है कॉलेज स्कूल बंद थे लेकिन फीस वसूली जा रही है सिर्फ ऑनलाइन कक्षा के नाम पर। किसानों के बच्चे इस गुस्से में बड़ी तादाद में किसान आंदोलन में भाग ले रहे हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?सब कुछ का अगर निजीकरण ही करना है तो आम आदमी अपने लिए इन नेताओं को क्यों चुने? अब तो यह आशंका भी खड़ी हो रही है कि क्या भविष्य में सब कुछ उद्योगपतियो के हाथों में नियंत्रित होगा! सच यह है कि आज हर युवा और बच्चे पढ़ने की इच्छा रखते हैं और इसके लिए सतर्क हैं, क्योंकि इसके जरिए वे अच्छा रोजगार पाएं सकेंगे। लेकिन क्या मौजूदा परिस्थितियों में युवाओं को रोजगार मिलेगा? अगर युवा दिशाहीन हो गए तो देश की कैसी तस्वीर बनेगी?