राज्य सरकार प्रदेश में महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग के लिए उचित प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगी




। इससे उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकेगी। यह खुशी की बात है कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से बड़ी संख्या में महिलाएं स्वावलम्बी बन रही हैं और उनका सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तीकरण हो रहा है। 

निवास से राजस्थान ग्रामीण आजीविका परिषद और ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से रामलीला मैदान में आयोजित जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले का वर्चुअल शुभारंभ किया। इस मेले में देश के विभिन्न राज्यों से आए दस्तकारों, शिल्पकारों, कलाकारों का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार उनकी कला और हुनर को भरपूर प्रोत्साहन देगी। राजस्थान में 2 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों के जरिए 23 लाख से अधिक महिलाओं का जुड़ना शुभ संकेत है। यह दर्शाता है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हैं।

राज्य सरकार ने दस्तकारों, बुनकरों, हस्तशिल्पियों आदि कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए बजट में कई घोषणाएं की हैं। इसमें दिल्ली हाट की तर्ज पर जयपुर हाट विकसित करने, सीकर के अरबन हाट का काम पूरा करने, राजीविका से जुड़े ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूहों के 1 लाख रूपये तक के उत्पादों की सरकारी विभागों में सीधी खरीद का प्रावधान, हैण्डलूम के कार्डधारक बुनकरों को 1 लाख रूपये तथा हैण्डीक्राफ्ट दस्तकारों के लिए 3 लाख रूपये तक के ऋण पर ब्याज का राज्य सरकार द्वारा शत-प्रतिशत पुर्नभरण जैसी कई घोषणाएं शामिल हैं। 

ऑर्गेनिक खेती का प्रचलन दिनो-दिन बढ़ रहा है, इसे देखते हुए स्वयं सहायता समूह अधिक से अधिक ऑर्गेनिक उत्पाद तैयार करें। इससे लोगों को गुणवत्तायुक्त उत्पाद मिलने के साथ ही स्वयं सहायता समूहों को बेहतर मूल्य भी मिल सकेगा। स्वयं सहायता समूहों के उत्पाद ईको-फ्रेंडली होने के साथ-साथ हमारी संस्कृति के आदान-प्रदान और उसके संरक्षण में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ऐसे मेले हमारी सांस्कृतिक विविधता तथा अनेकता में एकता की भावना को और मजबूत करते हैं। 

इस अवसर पर मेले में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आई स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से संवाद किया। बिहार की श्रीमती संगीता देवी, नागालैण्ड की श्रीमती चुभासेनला, दमन एवं दीव की श्रीमती रश्मिता बेन, भरतपुर की श्रीमती बृजेश भार्गव एवं जयपुर की श्रीमती शालिनी सोनी ने उत्पादों के बारे में जानकारी देने के साथ ही महिला स्वयं सहायता से जुड़ने से हुए उनके आर्थिक एवं सामाजिक स्वावलम्बन के अनुभव बताए। उनके प्रयासों की सराहना की और कहा कि वे निरन्तर कामयाबी की ओर आगे बढ़ते रहें।