मुख्यमंत्री ने अपने निवास पर सार्वजनिक निर्माण विभाग के कार्याें की समीक्षा करते हुए


अभियन्ताओं को सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से चल रहे सड़क एवं अन्य निर्माण कार्यों में कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड (गारंटी अवधि) में सड़क की मरम्मत नहीं करने वाले संवेदकों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

इस दौरान पीएमजीएसवाय, सीआरआईएफ, एसआरएफ, आरआईडीएफ, ग्रामीण विकास पथ आदि योजनाओं तथा एनएएचआई, विश्व बैंक तथा एडीबी के सहयोग से चल रहे निर्माण कार्याें की गहन समीक्षा की। प्रदेश के विभिन्न जिलों में कार्यरत अतिरिक्त मुख्य अभियन्ताओं, अधीक्षण अभियंताओं, अधिशासी अभियंताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद भी किया।

राज्य सरकार प्रदेश को सड़क निर्माण की दृष्टि से देश का अव्वल राज्य बनाने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है। सड़क, ओवर ब्रिज, पुलिया आदि निर्माण परियोजनाओं पर जनता का बड़ा पैसा खर्च हो रहा है। घटिया निर्माण कार्य के चलते सड़कें निर्धारित अवधि से पहले ही टूट जाती हैं और इसका खामियाजा अन्ततः जनता को ही भुगतना पड़ता है। हम सबकी जिम्मेदारी है कि जो भी सड़कें बनें वे टिकाऊ हों और लम्बे समय तक चलें। गुणवत्ता की जांच के लिए थर्ड पार्टी विशेषज्ञों का सहयोग भी लिया जाए।

निर्देश दिए कि जिलों में क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलियाओं तथा सड़क मार्गाें पर हो रहे अतिक्रमण की शिकायतों के निराकरण के लिए उनकी जियो टैगिंग एवं मैपिंग की जाए। इसमें ऐसी भी व्यवस्था की जाए कि स्थानीय नागरिक अपने इलाके की क्षतिग्रस्त सड़कों फोटो खींचकर विभाग को उनकी स्थिति की जानकारी और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर फीडबैक भी दे सकें। सभी निर्माण कार्य निर्धारित टाइम फ्रेम में पूरे हों ताकि सरकार की मंशा के अनुरूप आमजन को उनका समय पर लाभ मिल सके।

राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्याें में भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित मामलों में बेहतर समन्वय के लिए प्रकरण को मुख्य सचिव के स्तर पर गठित समिति के समक्ष लाया जाना चाहिए, ताकि उस पर त्वरित कार्यवाही कर काम को गति दी जा सके। 

सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से चल रहे राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण कार्यों पर कहा कि इन परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण कर उसे निर्माणकर्ता को सौंपने, अवार्ड जारी करने सहित अन्य आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त करने के काम को और अधिक गति दी जाए। यह प्रसन्नता की बात है कि राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के काम को लेकर नीति आयोग द्वारा जारी देश के 10 बड़े राज्यों की परफोरमेंस रैंकिंग में राजस्थान दूसरे नम्बर पर है। 

सड़क निर्माण में प्लास्टिक अपशिष्ट के उपयोग के नवाचार सराहनीय हैं इससे पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में मदद मिलने के साथ-साथ सड़कें भी अधिक टिकाऊ बन पाएंगी।   

प्रदेश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले लोगों की बड़ी संख्या चिंता की बात है। कई बार इस दुर्घटनाओं का कारण सड़क निर्माण में तेज घुमाव, स्पीड ब्रेकर एवं इंजीनियरिंग खामी भी होती है। अभियंताओं को निर्देश दिए कि वे ऐसा मास्टर प्लान तैयार करें, जिससे सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाई जा सके। सड़कों पर ऐसे गति अवरोधक बनाए जाएं जो वाहनों की सवारियों को शारीरिक क्षति नहीं पहुंचाएं। उन्होंने अभियंताओं को अपने-अपने जिलों में नॉन-पेचेबल सड़कों के प्रस्ताव शीघ्र भिजवाने के निर्देश दिए।