बूंदी जिला अस्पताल की हालत हम सबसे छोटी भी नहीं है जिला अस्पताल में संसाधन दवाइयां ऑक्सीजन बेड एवं अन्य जरूरी सामग्री की बड़ी किल्लत देखने को मिल रही है



हालांकि जिला प्रशासन चिकित्सा प्रशासन व जिले की जनप्रतिनिधि इसे पूरा करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी बात यह कितनी काम आ रही है कहां लग रही है वह कहां जा रही है इसकी किसी ने भी जाकर वहां जहां तक नहीं की है । युवा कांग्रेस के पदाधिकारी मोहिनीश बेंग समाज सेवी  राजेश खटीक, विश्व हिंदू परिषद के मनमोहन अजमेरा रोजाना जिला अस्पताल में दुखी परेशान लोगों की मदद करते हुए नजर आ रहे हैं उन्हें की जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं है मैं यहां पूरी संख्या में चिकित्सक है मैं चिकित्सा कर्मचारी ना दवाइयां ना ऑक्सीजन यहां तक कि संभालने वाला तक भी कोई नहीं है जिला अस्पताल की पूरी व्यवस्था चौपट सी हो गई है जिला अस्पताल के कहीं वार्ड में गंदगी का अंबार है जिसके फोटो भी इन्होंने हमें भेजे थे जिसे देख कर लग रहा था शायद जिला अस्पताल में सफाई नहीं होती अगर सफाई होती होती तो इतनी मात्रा में कचरा नहीं होता जिला अस्पताल के निशुल्क दवा योजना के अंतर्गत जारी दवा केंद्रों में जवाब बिल्कुल खत्म हो चुकी है परिजनों को अधिकतर दवाएं बाहर से लाकर काम में लेनी पड़ रही है इससे मुख्यमंत्री दवा योजना का मखौल बन गया है। जिला अस्पताल में रोजाना रेमड़ेसिविर इंजेक्शन आ रहे हैं जो कोविड-19 के लिए नितांत आवश्यकता है फिर भी हमें जानकारी मिली है कि पांच 5 दिन तक लोगों को रेमड़ेसिविर नहीं लगाए जा रहे हैं। फिर यह इंजेक्शन कहां जा रहे हैं किसको लग रहे हैं इसकी किसी को जानकारी नहीं है नहीं किसी ने इसकी जानकारी लेने की चेष्टा की है। अब बात करते हैं मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना की यहां लोगों की लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई है जांच केंद्रों पर पर्याप्त संसाधन नहीं होने से पर्याप्त रूप से झांसी नहीं हो रही है मजबूरन लोगों को बाहर से ज्यादा दर जांचें करानी पड़ रही है। जिला अस्पताल में जिस तरीके से रोजाना लोगों की डेड बॉडी आ रही है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह किस प्रकार की सेवाएं दी जा रही होगी यहां मरीज पड़े रहते हैं दवाइयों के अभाव में ऑक्सीजन के अभाव में फिर दम तोड़ देते हैं। ऑक्सीजन की कमी के चलते रोजाना रात को जिल अस्पताल का ऑक्सीजन लेवल अचानक कम हो जाता है अभी एक कम हो जाता है या कर दिया जाता है इसकी भी अभी तक किसी ने जांच तक नहीं की। जिला अस्पताल में डेढ़ सौ ऑक्सीजन बेड है जो लगभग हर रोज फुल रहते हैं जिसके कारण नए मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है अब जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार जनप्रतिनिधियों एवं भामाशाह से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध हो गए हैं यानी अब ऑक्सीजन बेड की संख्या भी दोगुनी हो जानी चाहिए या तो यह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर अभी तक आम जनों को उपलब्धि नहीं कराए गए हैं या यह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जिला अस्पताल के भंडार में पड़े हुए हैं या यह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर प्रबुद्ध जनों के घरों में लगाए जा रहे। हम लोग रोजाना न्यूज़ तो छाप रहे हैं कि जिला अस्पताल को इतने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मिले जिला अस्पताल को इतने m&a फीवर इंजेक्शन मिले जिला अस्पताल को इतने ऑफ 100 मीटर मिले जिला अस्पताल को इतने थर्मल स्कैनर मिले जिला अस्पताल को इतनी नेबुलाइजर मशीन मिली लेकिन यह आम आदमियों को कितने उपलब्ध है यह किसी ने अभी तक जानने की जांच करने की पता करने की कोशिश तक नहीं की। हालांकि जिला अस्पताल में अधिकतर चिकित्सा चिकित्सा कर्मी कोविड-19 हो जाने के कारण अस्पताल में मैन पावर की कमी है जो जगजाहिर है जो चिकित्सक हैं वह भी अपना सौ पर्सेंट दे रहे हैं लेकिन दवाइयों व जरूरी संसाधनों के अभाव में वह भी बेबस है लोगों को मरता देखने के लिए। मेरी तमाम भामाशाहो जनप्रतिनिधियों विधायकों जिला प्रशासन के अधिकारियों से अनुरोध है की जिला अस्पताल का आप सभी औचक निरीक्षण कर आप द्वारा दिए गए संसाधनों की उपयोगिता की जांच करें व जानकारी लेवे ताकि इन तड़पते हुए दम तोड़ते हुए बेबस लोगों को संसाधन उपलब्ध हो सके दवाइयां उपलब्ध हो सके पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध हो सके तथा जीवन देने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध हो सके। इसके अलावा मेरी एंबुलेंस संचालकों दवा विक्रेताओं सर्जिकल सामान बेचने वालों से विनम्र अनुरोध है कि इस कठिन समय में कालाबाजारी ना करें समय का लाभ उठाने की जगह जन सेवा करते हुए उचित मूल्य में संसाधन उपलब्ध कराएं।

जिला अस्पताल में अब तक सबसे ज्यादा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए जा चुके हैं मेरा जिला कलेक्टर एवं जिला चिकित्सा प्रशासन से अनुरोध है कि आप सो पलंग का एक अलग सेंटर बनाकर उसे सेवा दे रही सेवा भारती विश्व हिंदू परिषद या किसी भी समाज सेवी संस्था को सौंप दें जिसकी देखरेख की जिम्मेदारियों समाज सेवी संस्था को दें। जिससे कि लोगों को इस कठिन समय में जरूरी चिकित्सा सेवा मिल सके। इसके लिए चाहे संविदा पर पैरामेडिकल स्टाफ लगाना पड़े।