कोर्ट के आदेश की अवहेलना पड़ी भारी
बून्दी में चल रहे सीवरेज कार्य मे बरती गई अनियमिता और कि अहवेलना भारत के एक नामी कम्पनी और सहित कई अधिकारियों को पड़ा भारी
बूंदी में सीवरेज कार्य में अनियमितता व कोर्ट के आदेश की अवहेलना पड़ी भारी
देश के संविधान में कानून से बढ़कर कोई नहीं है और गलती करने वाला कितना ही प्रभावशाली हो उसे सजा मिलती ही है। यह बात बूंदी में एक बार फिर साबित हो गयी जब बूंदी शहर में सीवरेज कार्य में लापरवाही बरतने व न्यायालय के आदेश की अवहेलना पर देश के निर्माण क्षेत्र की नामी कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स के सिकंदराबाद में रहने वाले चेयरमैन सोमैया रामाकृष्णन सहित तत्कालीन बूंदी जिला कलेक्टर महेशचंद्र शर्मा, नगर परिषद के आयुक्त अरुणेश, कम्पनी के एमडी विनायक देशपाण्डे, प्रोजेक्ट मैनेजर जगदीश वर्मा, राकेश शर्मा, जलदाय विभाग के अभियंता जेपी दाधीच, तत्कालीन सभापति महावीर मोदी, टाटा प्रोजेक्ट्स कम्पनी के सीवीएस राव व ज्योतिबिल्डिंगटेक कम्पनी के सीवीएस राव को न्यायालय ने तीन माह के सिविल कारावास की सजा सुनाते हुये इन सभी की संपत्ति को भी कुर्क करने आदेश दे दिया ।
26 फरवरी को सिविल न्यायाधीश निखिल कुमार नाड ने यह 7 पृष्ठ का आदेश दिया, जिसकी प्रति बुधवार को जारी की गयी। इस मामले में वाद दायर करने वाले महावीर मीणा व सीवरेज की अनियमितताओं के विरुद्ध न्यायालय में महत्वपूर्ण गवाही देने वाले कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा ने न्यायालय के निर्णय को सिस्टम को अपनी बपौती समझने वाले प्रभावशाली अधिकारियों के विरुद्ध ऐतिहासिक निर्णय बताया है। वादीगण की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता पुरुषोत्तम पंचोली ने की।
प्रतिनिधि वाद पर दिया था निषेधाज्ञा आदेश – प्रतिनिधिवाद पर दिये गये न्यायालय के आदेश की अवहेलना आरोपियों को भारी पड़ी।2018 में जब बूंदी में सीवरेज योजना में अनियोजित तरीके से कार्य करने पर जब सरकार व प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की तो बूंदी के नागरिकों की ओर से सत्यनारायण शर्मा, महावीर मीणा,पार्षद रोहित बैरागी व लोकेश ने न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता पुरुषोत्तम पंचोली के माध्यम से प्रतिनिधिवाद दायर किया था। न्यायालय ने सीवरेज कार्य पर एडवोकेट धनराज प्रजापत को मौका कमिश्नर नियुक्त करते हुये शहर के विभिन्न स्थानों पर किए जा रहे सीवरेज कार्य का फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी के साथ सर्वे करवाया था। जिसके बाद 2 जून 2018 को न्यायालय ने अप्रार्थीगण को इस निषेधाज्ञा से पाबंद किया कि ष्अप्रार्थीगण बूंदी शहर में जहां-जहां भी अनियोजित तरीके से सीवरेज लाइन के कार्य हेतु गड्ढे खोदे गए हैं, उन्हें तत्काल रुप से भरवा कर सड़क को पूर्व की स्थिति में बहाल कराये एवं सीवरेज लाइन के कार्य से पीने के पानी की लाइन को कोई नुकसान हुआ हो तो उसे भी तत्काल रुप से सही करावे।
गंभीर चोटे एवं मृत्यु कारित होने की संभावना –अवहेलना के मामले में अप्रार्थीगण को सजा सुनाते न्यायालय ने सीवरेज कार्यशैली के विरुद्ध कड़ी टिप्पणियां की है। अपने निर्णय में माननीय न्यायालय ने कहा है कि अप्रार्थीगण ने जगह-जगह पर सीवरेज का कार्य करते हुए बीच रास्ते में खड्डे खोद दिए हैं। जिन स्थानों पर सीवरेज का कार्य पूर्ण हो गया है उन स्थानों पर चेंबर के ढक्कन गलत तरीके से अथवा टूटे-फूटे लगाए हुए हैं। इस तरह से कार्य किया गया है कि गिरने से गंभीर चोटें या मृत्युकारित होने की संभावना है।
राजनैतिक व्यक्ति को भी वाद का अधिकार- न्यायालय में गवाह के रूप में प्रस्तुत चर्मेश शर्मा पर जिरह के दौरान अप्रार्थी गण के अधिवक्ता द्वारा राजनीतिक द्वेषता से प्रस्तुत करने की बात कहने पर न्यायालय ने आपत्ति को दरकिनार करते हुये कहा कि कहा कि किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित व्यक्ति सहित अन्य आम व्यक्ति भी प्रतिनिधित्व वाद प्रस्तुत कर सकते हैं।
बिना सुरक्षा उपकरणों के किया गया कार्य – न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि शहर के व्यस्ततम एवं मुख्य सड़क क्षेत्र में भी जहां बैरिकेडिंग आदि जैसे बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सीवरेज का कार्य किया जा रहा है। यह प्रकट होता है कि कहीं ना कहीं किसी न किसी प्रकार से अप्रार्थीगण ने सीवरेज का कार्य करने के बाद किसी ने किसी प्रकार की अनियमितता छोड़ दी है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि कई स्थानों पर सीवरेज कार्य की वजह से सड़क धंसने के पश्चात उसके सुधार हेतु कोई कार्यवाही नहीं की है। सीवरेज कार्य करने के पश्चात सड़क को पूर्व की स्थिति में बहाल नहीं किया गया है। कुछ स्थानों पर अप्रार्थीगण ने सीवरेज लाइन के पाइप को सड़क खोदकर डालने के बाद गड्ढों को भर दिया परंतु चेंबर जमीनी सतह से ऊपर निकले हुए हैं, जिससे टक्कर खाकर राहगीरों के गिरने की संभावना है।कई स्थानों पर सड़क के मध्य गड्ढा खोदने के पश्चात उसमें पानी इकट्ठा हो रहा है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रार्थी गण द्वारा न्यायालय के आदेश की अवमानना की गयी है


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